पंजाबी में एक कहावत है, नहीं थी - ’चोर ते लाठी दो जने, मैं ते बापू क्ल्ले’। कहावत पुरानी है, तब शायद नींव में पक्की ईंटे ही थीं, अब भी पक्की ईंटें हैं लेकिन नगण्य। बहुत अच्छी कविता।
Sorry Lass, I would comment in English and contrary to mass praising, I would say, before quoting the Eents as halfbaked, were the cement enough strong?. Sounded like some early twenty crisis. Chalte Chalte-- '' Ta Umar Ek Hi Galti Karte Rahe, Dhul thi Chehre per Aaina Saaf Karte Rahe''.
26 comments:
किसी टेबल पर रखा है मेरा अकेलापन
मैं एक कोने में वह दूसरे कोने में
बढिया रचना है बधाई।
बड़े गंभीर से प्रश्न किए हैं आपने
अच्छा लिखती हैं आप
रिश्तों की गहराई को बहुत ही सजह ढंग से बयां कर दिया आपने।
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
पर
नहीं शायद
आजकल नींव की ईंटे भी कच्ची हैं।
ये भी शायद संभावित जवाब हो सकता है. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए....
मन को छू गये आपके भाव।
इससे ज्यादा और क्या कहूं।
बहुत कुछ चन्द शब्दों में व्यक्त किया, आभार ।
Behtreen bhavabhivyakti.....
बहुत उम्दा रचना.
रिश्तों के बंध तो अलौकिक होते हैं और बने तो शाश्वत होते हैं -देह भले ही नश्वर हो रिश्ते नहीं !
hi i wish you to more rachnaya likhay
खूबसूरत रचना के साथ-साथ मनविंदर जी की खूबसूरत टिप्पणी भी पढ़ने को मिली...बहुत अच्छा!
सुन्दर मनोभाव सरल भाषा में है बहुत अच्छा लगा |
कुछ नया क्यूँ नहीं लिख रही हो??
saari inte kacchi nahin...sacchi... haan magar is bahane kavita to acchhi hai..sacchhi....!!
सुन्दर ।
इतना दर्द! चेहरा देख के तो पता ही नहीं चलता है!
Anyways, beautiful poem. जय बजरंग बलि!
पंजाबी में एक कहावत है, नहीं थी - ’चोर ते लाठी दो जने, मैं ते बापू क्ल्ले’। कहावत पुरानी है, तब शायद नींव में पक्की ईंटे ही थीं, अब भी पक्की ईंटें हैं लेकिन नगण्य। बहुत अच्छी कविता।
सुन्दर शब्द-चित्र हैं!
पर
नहीं शायद
आजकल नींव की ईंटे भी कच्ची हैं।
......... बहुत सुन्दर!!!!
बांसुरी की ज़िंदगी से सीख ले ऐ ज़िंदगी, लाख सीने में जलन हो मुस्कुराना चाहिए। अच्छी कविता बधाई
Sorry Lass, I would comment in English and contrary to mass praising, I would say, before quoting the Eents as halfbaked, were the cement enough strong?.
Sounded like some early twenty crisis.
Chalte Chalte--
'' Ta Umar Ek Hi Galti Karte Rahe,
Dhul thi Chehre per Aaina Saaf Karte Rahe''.
शायद रिश्तों की नींव का इससे अच्छा बयां और कहीं नहीं..
रिशता .... वाकई लगता है कि दोबारा परिभाषा की जरुरत है..
डेढ़ साल में बस दो पोस्ट !
अरे वाह, रिश्तों की कमजोरी को आपने बहुत खूब समझा है।
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बूझ सको तो बूझो- कौन है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
कृपया ब्लॉग अपडेट करती रहें।
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